शक्ति चक्र का परिचय
by Robin jain | 2021-08-22 |
Vastu
शक्ति चक्र का उपयोग वास्तु शास्त्र में किया जाता है। इसके द्वारा देवताओं की स्थिति व उसके गुणों के बारे में पता चलता है। इस शक्ति चक्र के विभिन्न भागों को हम क्रम से समझते हैं :
सबसे पहले केंद्र की ओर ब्रह्म को देखें, यह पूरे शक्ति चक्र की बुनियाद है , इसी के द्वारा शक्तियों का उदय होता है।
इसके आलावा चार पुरुषार्थ को दर्शाने वाले चार देवता इस प्रकार हैं :
बुद्धर : किसी काम में निरंतरता लाना, opportunity
आर्यमा : मिलान करना , संपर्क बनाना, जीत
वेदसवान: ऊंचाइयों पर ले जाना , यश दिलाना, जीवन को लक्ज़री बनाने वाला, फुलफिलमेंट
मित्र : मैत्रिक सम्बन्ध
इन्ही के निर्देशांकों पर 8 एनर्जी फ़ील्ड्स हैं ,
रूद्र : सहीं न होने पे मानसिक तनाव देता है
राज्यक्षमा : रूद्र का सहायक
अपा: इमोशंस
आपवत्सा : भोजन की एनर्जी को सँभालने वाला
सविता : मोटिवेटर
सवित्रा: फण्ड मैनेजर
इन्द्र : विस्तार
जया : इंद्र की सहायक
बाहर से दूसरी परिधि में द्वार दिखाए गए हैं। उन द्वारों से सम्बंधित देवता उस मुख्य द्वार के प्रभाव के लिए जिम्मेदार हैं।
32 मुख्य द्वार, 16 जोन और उनके प्रभाव शक्ति चक्र में दिखाए गए हैं ।
N: Money, Opportunities
NNE: Health, Immunity
NE: Clarity, Mind
ENE: Recreation, Fun
E: Social, Associations
ESE: Anxiety, Churning
SE: Fire, Cash liquidity
SSE: Power, Confidence
S: Relaxation, Fame
SSW: Expenditure, Disposal
SW: Relationship, Skill
WSW: Education, Savings
W: Gains, Profits
WNW: Depression, Detoxify
NW: Support, Banking
NNW: Sex, attraction