लिविंग रूम, मूल रूप से पश्चिमी वास्तुकला का एक हिस्सा है, जिसे ड्राइंग रूम, सिटिंग रूम, लाउंज या लाउंज रूम के रूप में भी जाना जाता है। लिविंग रूम का इस्तेमाल खासकर घर के लोगों द्वारा आपस में समय बिताने, रिलैक्स करने और मेहमानो को बैठने के लिए किया जाता है। लिविंग रूम घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, एक वास्तु अनुसार निर्मित लिविंग रूम बहुत सी पॉजिटिव एनर्जी को आकर्षित करने का काम करता है और यही पॉजिटिव एनर्जी हेल्थ, वेल्थ और सुकून देती है।
घर में आये मेहमानो के साथ आप लिविंग रूम में ही समय बिताते हैं। बाहर से आया कोई भी व्यक्ति अपने साथ पॉजिटिव या नेगेटिव एनर्जी लेकर आता है और आप ये बिलकुल नहीं चाहेंगे की उनकी नेगेटिव एनर्जी का असर आपके घर पर हो। ऐसे में वास्तु अनुकूल लिविंग रूम का होना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि वास्तु अनुरूप रूम ही नेगेटिव एनर्जी के असर को आसानी से हैंडल कर सकता है।
लिविंग रूम की सबसे अच्छी प्लेसमेंट !
अलग अलग दिशाओं में स्थित लिविंग रूम अलग अलग प्रभाव देता है। आईये जानते हैं की की लिविंग रूम की अच्छी प्लेसमेंट क्या होनी चाहिए और उसका आपके जीवन पर क्या असर पड़ता है।
उत्तर - इस दिशा में लिविंग रूम होने से दिमाग में नए आइडियाज और विचार उत्पन्न होते हैं। घर के लोगों को लाइफ में ग्रोथ करने के अलग अलग तरीकों के विचार आते हैं।
पूर्व - यह लिविंग रूम के लिए सबसे अच्छी जगह है। यहां की गयी मीटिंग्स से खास अंडरस्टैंडिंग डेवेलोप होती है। पूर्व दिशा का लिविंग रूम आपको सामाजिक रूप से भी मजबूत बनाता है।
उत्तर-पूर्व - यह लिविंग रूम को सकारात्मक ऊर्जा का भंडार बनाता है और घर के लोगों को मानसिक शांति प्रदान करता है।
दक्षिण - पश्चिम - इस दिशा में बैठकर की गयी डिस्कशन घर के सदस्यों के बिच के संबंधों को और भी गहरा करती है ।
पश्चिम - यहाँ की गयी मीटिंग्स घर के सदस्यों के लिए हमेशा हितकारी और लाभकारी साबित होती है।
उत्तर-पश्चिम -यह लिविंग रूम के लिए एक आदर्श स्थान है यदि आप देर रात की पार्टियों आदि से बचना चाहते हैं। यह मेहमानों को बेचैन करता है, उन्हें जल्दी जाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
मुख्य दरवाजा-
आपके घर में प्रवेश करने से पहले मुख्य द्वार हमेशा मेहमानों का ध्यान खींचता है। मुख्य द्वार का निर्माण हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में करना चाहिए। ये दिशाएं आपके घर में जीत का रास्ता खोलती हैं।
लिविंग रूम में कलर कोनसा करें ?
अगर आप अपने हॉल को और आकर्षक बनाना चाहते हैं तो आपको खूबसूरत रंगों का चुनाव करना चाहिए, इनमें नीले, सफेद, हरे या हल्के-पीले रंग शामिल हैं। कभी भी काले या चमकीले लाल रंगों का प्रयोग न करें क्योंकि ये आपके दिमाग को विचलित करते हैं और नकारात्मक ऊर्जाओं को आकर्षित करते हैं।
दिशाओं के अनुसार यदि रंगों की बात की जाये तो आप ये कलर चुन सकते हैं -
पूर्व दिशा के लिविंग रूम में - हरा, भूरा
पश्चिम दिशा के लिविंग रूम में - नीला, ग्रे, सिल्वर
उत्तर दिशा के लिविंग रूम में - नीला , ऑफ वाइट
दक्षिण दिशा के लिविंग रूम में - गुलाबी, नारंगी, हल्का लाल
दक्षिण पश्चिम दिशा के लिविंग रूम में - पीला, गोल्डन
उत्तर पश्चिम दिशा के लिविंग रूम में - सफ़ेद, सिल्वर, ग्रे
लिविंग रूम फर्नीचर कैसा होना चाहिए ?
लिविंग रूम में हमेशा चौकोर या वर्गाकार फर्नीचर ही इस्तेमाल करने चाहिए । ओड शेप के फर्नीचर जैसे पेंटागन, गोलाकार या त्रिकोण फर्नीचर का नहीं लगाने चाहिए ।
लकड़ी से बने फर्नीचर उच्च पॉजिटिव एनर्जी वाइब्रेशन उत्पन्न करते हैं, इसलिए मॉडुलर फर्नीचर की जगह लकड़ी के फर्नीचर का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए
फर्नीचर को अच्छी तरह मेन्टेन रखना चाहिए तथा किसी भी फर्नीचर से क्रैकिंग साउंड नहीं आना चाहिए।
हैंग पेंटिंग
हर ड्राइंग रूम में बेहतरीन पेंटिंग लगायी जाती है। वे न केवल घर की सजावट के सामान के रूप में कार्य करते हैं बल्कि खाली दीवारों को भी बढ़ाते हैं। पेंटिंग चुनते समय, आपको ऐसी पेंटिंग चुननी चाहिए जो खुशी, कॉमेडी और सकारात्मकता की भावना पैदा करें। अंधेरे, उदासी और नकारात्मक भावनाओं को प्रदर्शित करने वाली दीवार पेंटिंग से बचें।
कुछ अन्य ध्यान रखने लायक बाते...
लिविंग रूम की छत में बैठने के स्थान के ऊपर से बीम या गर्डर न जाये, क्योंकि इसके नीचे बैठने से मानसिक अशांति और तनाव होता है।
कभी भी कृत्रिम फूलों को न लगाएं क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। सूखे फूल भी दुर्भाग्य को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे पतझड़ के मौसम को दर्शाते हैं।
परिवार के मुखिया को हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके दक्षिण-पश्चिम हिस्से में रहना चाहिए। यह उसकी बातों को अधिक प्रभावी बनाता है और मेहमानों को हावी होने से रोकता है।
मेहमानों को हमेशा दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में बैठना चाहिए। मेहमानों के बैठने की व्यवस्था इस तरह से की जानी चाहिए कि उनका मुख पश्चिम या दक्षिण की ओर हो।