घर के बाकी हिस्सों की तुलना में सीढ़ियों को डिजाइन करने पर हमेशा ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। हालांकि, गलत तरीके से बनायीं गई सीढ़ी नकारात्मक ऊर्जाओं को आकर्षित कर सकती है और आपके द्वारा अपने घर के बाकी हिस्सों में लागू किए गए किसी भी अन्य वास्तु सिद्धांतों के सकारात्मक वाइब्स को दूर कर सकती है। दूसरी ओर, सही ढंग से डिजाइन की गई सीढ़ियां आपके घर में धन, स्वास्थ्य और मन की शांति ला सकती हैं।
सीढियाँ कहाँ बनायें ?
सीढियाँ हमेशा दक्षिणऔरपश्चिम दिशा में बेस्ट होती है ।
यदि बाकी घर वास्तु अनुकूल हो तो उत्तर - पश्चिम अथवा दक्षिणपूर्व दिशा में भी सीढियाँ बनायीं जा सकती हैं।
उत्तर व पूर्व दिशा में सीढिया केवल तभी बनायें जब उपरोक्त स्थानों में सीढियाँ बनाना असंभव हो जाये ।
सीढियाँ कहाँ ना बनायें ?
उत्तर - पूर्व , ब्रह्म स्थान एवं दक्षिण पश्चिम दिशा में सीढियाँ नहीं बनानी चाहिए।
नोट -बहुत लोगों की मान्यता है की दक्षिण पश्चिम दिशा में सीधी बनाना शुभ है लेकिन यह अवधारणा बिलकुल गलत है। यह कारण दिया जाता है की यह दिशा भारी है जो की सत्य भी है ,लेकिन भार से तात्पर्य घर के सबसे प्रमुख व्यक्ति से है ना की भारी स्ट्रक्चर से । इसलिए इस दिशा में सीढियाँ न बनाएं ।
घर के बाहर बनी सीढ़ियों के लिए निचे दिए सिद्धांतों को फॉलो करें :
दक्षिण पूर्व की सीढिया - पूर्वमुखी दक्षिण पश्चिम की सीढियाँ - पश्चिम मुखी उत्तर पश्चिम की सीढियाँ - उत्तर मुखी
कलर कौन सा रखें ?
सीढ़ियों के क्षेत्र के लिए हमेशा हल्के रंगों का चुनाव सही होता है, जैसे ऑफ वाइट , ग्रे, हल्का नीला आदि। गाढ़े रंग जैसे काला या गहरे लाल रंगीन से बचना चाहिए। फिर भी रंगों के लिए उस दिशा को देखा जाना चाहिए और उस दिशा के एलिमेंट के अनुसार ही रंग करवाना चाहिए ।
सीढ़ियों के निचे की जगह का इस्तेमाल ....
सीढ़ियों के निचे पूजा रूम और किचन नहीं बनाया जाना चाहिए ।
सीढ़ियों के नीचे की जगह का इस्तेमाल आम घरेलू सामानों के भंडारण के अलावा और कुछ नहीं किया जाना चाहिए।
इस जगह का इस्तेमाल बेकार पड़े सामान या पुराने जूतों को रखने के लिए न करें।
नकदी या आभूषण जैसी मूल्यवान वस्तुओं वाली अलमारियाँ इस स्थान पर नहीं रखनी चाहिए।
जगह की कमी होने पर ही इस जगह का उपयोग टॉयलेट या बाथरूम के लिए करें।
सीढ़ियों के लिए अन्य सिद्धांत :
सीढ़ियों की शुरुआत हमेशा उत्तर से दक्षिण या पूर्व से पश्चिम की ओर करें। जगह की कमी होने पर दूसरी तरफ भी मोड़ कर भी बनाया जा सकता है।
सीढ़ियाँ हमेशा विषम संख्या में होनी चाहिए। पर यह संख्या 13 या 17 न हो ।
वर्गाकार या आयताकार सीढियाँ जो समकोण पर मुड़ीं हों , अच्छी हैं।
स्पाइरल सीढियाँ नहीं बनायीं जाती क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह खराब स्वास्थ्य का कारण बनता है।
एक आंतरिक सीढ़ी इस तरह से बनाई जानी चाहिए जो सीधे आपके आगंतुकों की दृष्टि की रेखा में न हो।
सीढ़ी के आरंभ और अंत में दरवाजों का निर्माण करें। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि सीढ़ियां उत्तरी या पूर्वी दीवारों को नहीं छूती हो।